गाली
- Vivek Pathak

- 2 अप्रैल
- 1 मिनट पठन
जिनके कर्म गाली हैं,
जिनका जीवन गाली है,
जिनके कर्म गाली हैं,
जिनका जीवन गाली है,
और जो तहज़ीब की लाश उठाये फिरते हैं ज़ुबां पर,
उनको बुरा लगता है, जब मैं ग़ुस्से में गाली बकता हूँ l
उनको बुरा लगता है, जब मैं ग़ुस्से में गाली बकता हूँ l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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