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अब तो कर स्वीकार

मेरा पाप-मेरा पुण्य, मेरा ज्ञान-मेरा अज्ञान,

मेरी हार-मेरी जीत, मेरा पुत्र-मेरा परिवार,

मैं और मेरा बाक़ी संसार l


कर के भस्मी, करता हूँ तुझ पर समर्पित,

कर के भस्मी, करता हूँ तुझ पर समर्पित l


तू ही मेरा अस्तित्व, तू ही आधार,

तू ही मेरा अस्तित्व, तू ही आधार,


अब तो कर मुझे ख़ुद में विलीन, अब तो कर स्वीकारl


ll ॐ नमः शिवाय ll


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक

 
 
 

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