अब तो कर स्वीकार
- Vivek Pathak

- 14 फ़र॰
- 1 मिनट पठन
मेरा पाप-मेरा पुण्य, मेरा ज्ञान-मेरा अज्ञान,
मेरी हार-मेरी जीत, मेरा पुत्र-मेरा परिवार,
मैं और मेरा बाक़ी संसार l
कर के भस्मी, करता हूँ तुझ पर समर्पित,
कर के भस्मी, करता हूँ तुझ पर समर्पित l
तू ही मेरा अस्तित्व, तू ही आधार,
तू ही मेरा अस्तित्व, तू ही आधार,
अब तो कर मुझे ख़ुद में विलीन, अब तो कर स्वीकारl
ll ॐ नमः शिवाय ll
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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