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ईश्वर की अवधारणा

  • लेखक की तस्वीर: Vivek Pathak
    Vivek Pathak
  • 31 अक्टू॰ 2022
  • 1 मिनट पठन

स्वस्फ़ूर्त ऊर्जा से प्रदीप्त हूँ मैं ।।


बुद्ध का अंतःदीप, शिव का ॐकार हूँ मैं,

जो है, उसमें भी हूँ मैं, जो नहीं है, वही तो हूँ मैं l

न आदि है न अंत है, अनंत नाद निनादमय,

कालचक्र की धुरी हूँ मैं l


स्वस्फ़ूर्त ऊर्जा से प्रदीप्त हूँ मैं।।


हूँ माँ सा पोषक, गुरु सा प्रेरक, पत्नी सा पूरक,

और मित्र सा निःस्वार्थ सहायक भी हूँ मैं l

राम सा करुणामयी रक्षक, कृष्ण सा संपूर्ण हूँ मैं,

शिव सा विनाशक सर्वत्र हूँ मैं ।


स्वस्फ़ूर्त ऊर्जा से प्रदीप्त हूँ मैं ।।


शक्ति सा शिवमय, भक्ति सा हनुमान हूँ मैं,

राधा सा समर्पण और नंदी का धैर्य हूँ मैं l

प्रकाश का अनंत स्त्रोत और तिमिर की घनघोर गहराई हूँ मैं l ज्ञान की पूर्णता और भक्ति की परिणिति हूँ मैं l


।।स्वस्फ़ूर्त ऊर्जा से प्रदीप्त हूँ मैं , ईश्वर हूँ मैं, ईश्वर हूँ मैं ll


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक

 
 
 

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