कैसा हूँ मैं ?
- Vivek Pathak

- 15 मई 2024
- 1 मिनट पठन
लगता था मुझे कि बहुत बुरा हूँ मैं,
ख़ालिस नहीं हूँ, न ही ख़रा हूँ मैं l
चाहिये ज़र-ओ-ज़मीन और शौहरत,
सबसे अलग़ कहाँ हूँ मैं?
ज़माने की तरह ही, कीचड़ में सना हूँ मैं l
पर जब मैंने ये जाना,
कि किसी के दुःख के, आँसू का कारण नहीं हूँ मैं l
पता है सब मुझे, समझदार हूँ, पर चालक नहीं हूँ मैं l
सुख़, सिर्फ़ अपने पुत्र के लिए नहीं,
औरों की औलाद के लिये भी माँगता हूँ मैं l
मिली है जो सफ़लता मुझे, उसकी कृपा से,
कम से कम उतनी तो, हर किसी के लिये चाहता हूँ मैं l
जितना समझता था बुरा ख़ुद को,
उतना भी बुरा नहीं हूँ मैं, उतना भी बुरा नहीं हूँ मैं l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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