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क्षमता

क्षण भर में ‘सम्पूर्ण-अर्जित’ त्यागने की क्षमता l


क्षण भर में ‘प्रियतम-प्यारे’ से विमुख होने की क्षमताl


क्षण भर में किसी ‘निरीह-पराये’ को ह्रदय से लगाने की  क्षमता l


क्षण भर में ही ‘जन कल्याण यज्ञ’ में स्वयं की आहुति देने की क्षमता l


अगर आप में है , तो आप उस ‘अवर्णीय सर्वेश्वर स्थिती’ के सबसे निकट हैं l


आपका भूत मिट चुका है, वर्तमान उद्दीप्त है और भविष्य उज्जवल l


ll शुभं भवतु ll         ll ॐ नमः शिवाय ll


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक


 
 
 

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पशु कौन?

वो होते हिंसक, सुरक्षा और भोजन के लिए, और हम… स्वाद के लिए, उनके शीश काटते जाते l वो होते काम-रत, ऋतु आने पर ही, और हम… सारा जीवन, काम में ही लुटाते जाते l वो जीते गोद में प्रकृति की, जीवन भर, और हम…

 
 
 
याद की जायदाद

कर-कर के देख लिया, हर क़रम,-2 कमा के देख लिया, गँवा के देख लिया, और पापों से तो सना हूँ मैं,-2 कुछ पुण्य, कमा के भी देख लिया l सब.. सब.. सब आ के चला जाता है, सब आ के चला जाता है l एक ‘उसकी याद’ है, क

 
 
 
श्मशान

कहते लोग, जिसे भयानक और अशुद्ध, जहाँ जाने के नाम से भी, हो जाती सांसें बद्ध l होते सभी बंधन जहाँ राख़, टूट जाती वृक्ष से ज्यों साख़, है यह वह स्थान, जहाँ माया भी है निषिद्ध l मरके तो सबको जाना है वहाँ

 
 
 

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