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ख़ाली हाथ

जो अक्सर रहता नहीं, ज़माने के क़ाबिल,

कर-कर के भी, मिलती नहीं जिसको मंज़िल l


लोगों के बड़े काम का होता है वो शख़्स,

जो ख़ुद, किसी काम का नहीं रहता l


बीतता है ज़माना, कई बार उम्र बीत जाती है, -2

और जो चाहता है बाँटना, ज़माने में,

वही अक्सर ख़ाली हाथ, है रह जाता l -2


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक

 
 
 

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