ख़ाली हाथ
- Vivek Pathak

- 5 जुल॰
- 1 मिनट पठन
जो अक्सर रहता नहीं, ज़माने के क़ाबिल,
कर-कर के भी, मिलती नहीं जिसको मंज़िल l
लोगों के बड़े काम का होता है वो शख़्स,
जो ख़ुद, किसी काम का नहीं रहता l
बीतता है ज़माना, कई बार उम्र बीत जाती है, -2
और जो चाहता है बाँटना, ज़माने में,
वही अक्सर ख़ाली हाथ, है रह जाता l -2
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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