जीवन की शैली
- Vivek Pathak

- 24 अग॰ 2022
- 1 मिनट पठन
बहुत सार्थक है जीवन की शैली,
आदर्श हो या हो बिखरी,
जिनसे थी उम्मीदें तोड़ी उन्होंने,
प्रेम की परिणति हृदय परिवर्तन,
भरोसा पल का नहीं, पर कल की दुविधा टलती नहीं,
अँधेरी रात, पर है दीपों की माला भी,
बहुत सार्थक है जीवन की शैली,
आदर्श हो या हो बिखरी,
मजबूर को निःस्वार्थ सहायता,
तिरस्कृत को प्रेम के बोल,
शिशु का खिलखिलाना,
जीवन में आस का आना,
भूखे की भूख, असफलता का सागर,
हो स्वार्थी संबंध या भोग के चक्रव्यूह,
पर है ईश्वर का सहारा, पर है ईश्वर का सहारा,
बहुत सार्थक है जीवन की शैली,
आदर्श हो या हो बिखरी-2
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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