तन्हा रहना सीख लो
- Vivek Pathak

- 18 अप्रैल
- 1 मिनट पठन
तन्हा रहना सीख लो, तन्हा रहना सीख लो,
कि हमेशा कोई साथ न होगा l
हर रिश्ता है कुछ पल का ही,
हर रिश्ता है कुछ पल का हीl
और अलग होने के हैं सौ बहाने ।
कभी पैसा, कभी सोच,
कभी किस्मत तो कभी मौत, ज़ुदा कर ही देती है l
भीड़ कितनी भी क्यों न हो, यहाँ सभी अकेले हैंl -2
सीख लो तन्हा रहना, भीड़ में भी, तो है बेहतर l
हो पाए ग़र ये तो फिर क्या बात है,
कि तुम किसी के आंसूँ पोंछो,
किसी की हँसी का बहाना बनो l
गिरते का सहारा बनो, किसी का हाथ थामों l
शर्त बस इतनी सी है कि,
बदले में क्या मिलेगा, उसे दिल से मिटाते चलो l -2
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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