तेरे बिना
- Vivek Pathak

- 28 दिस॰ 2024
- 1 मिनट पठन
तूने कहे सौ फ़साने ए ख़ुशनवर,
जिसने दिया दर्द ए दिल, एक नज़राना उसके लिए l
कि तुझसे बिछड़कर मरना गँवारा न हुआ,
तेरे बिना जीने को, मैंने ज़िन्दगी नाम रख दिया l
जिससे भी जुड़ा, उनमें तुझको ही खोजा,
यूँ टूटते रहने को, मैंने ज़िन्दगी नाम रख दिया l
चाहत का सागर दिल में ही रहा, बिन बरसे बादल की तरह, भटकते रहने को, मैंने ज़िन्दगी नाम रख दिया l
तुझको पाना ग़र होती मेरी मंज़िल,
तो मेरा हश्र यूँ न हुआ होता, बस चलते रहने को,
मैंने ज़िन्दगी नाम रख दिया l
तू नहीं, अब तेरा ख्वाब भी नहीं, दर्द ए दिल को जीने की वजह कर दिया, तेरे बिना जीने को,
मैंने ज़िन्दगी नाम रख दिया l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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