दुःख और दान
- Vivek Pathak

- 4 नव॰ 2024
- 1 मिनट पठन
जिसने समझा बात को उसको नमन,
जिसने समझाया उसको नहीं l
जिसने माँगा रक्षण उसको नमन,
जिसने की रक्षा उसको नहीं ।
जिसने स्वीकारा दान को उसको नमन,
जिसने किया दान उसको नहीं l
अरे
सहायता तो ऋण है, चुकाना अति आवश्यक है !
सहायता तो ऋण है, चुकाना अति आवश्यक है !
जिसने रोका ख़ुद तक, होते उसके दुःख सघन l
जिसने रोका ख़ुद तक, होते उसके दुःख सघन l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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