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दुःख और दान

जिसने समझा बात को उसको नमन,

जिसने समझाया उसको नहीं l


जिसने माँगा रक्षण उसको नमन,

जिसने की रक्षा उसको नहीं ।


जिसने स्वीकारा दान को उसको नमन,

जिसने किया दान उसको नहीं l


अरे


सहायता तो ऋण है, चुकाना अति आवश्यक है !

सहायता तो ऋण है, चुकाना अति आवश्यक है !


जिसने रोका ख़ुद तक, होते उसके दुःख सघन l

जिसने रोका ख़ुद तक, होते उसके दुःख सघन l


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक


 
 
 

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