न होना ही होना है
- Vivek Pathak

- 10 जून 2023
- 1 मिनट पठन
तपस्वियों को देखा, त्यागिओं को जाना,
ज्ञानिओं को समझा, भक्ति को माना l
क्या करूँ जिससे उसको जान पाऊँ,
कैसे उसको महसूस कर पाऊँ,
आख़िर क्या करूँ कि उसको पा जाऊँ l
जैसे हनुमत जपते हर क्षण राम को,
जैसे मीरा भजती प्यारे घनश्याम को,
जैसे नंदी करते प्रतीक्षाभोलेनाथ की l
बस वैसे ही जप पाऊँ मैं, एकबार पूरी तरह से राम को l
बस वैसे ही भज पाऊँ मैं, एकबार मीरा सा घनश्याम को l
बस वैसे ही धार पाऊँ नंदी सा धैर्य एकबार,
और मिट जाऊँ, मिट जाऊँ मैं l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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