पिता होना क्या है?
- Vivek Pathak

- 29 अप्रैल 2023
- 1 मिनट पठन
ख़ुश था बहुत उस ग़रीबी में भी, जब पिता का साथ था l
थीं उम्मीदें, था जूनून कुछ कर दिखाने का,
और था साथ पिता का, इसलिए न उदास था l
मिला मुझे अपनी क़ाबलियत से बहुत अधिक,
क्योंकि पिता ने किया मेरे लिये, उनकी हैसीयत से बहुत अधिक l
सोचता था न भूल पाऊँगा कभी वो खुशियाँ, जो उनके काँधे पर चढ़कर पाईं थीं, सब विदा हुईं जब वो मेरे काँधे पर थे l
पिता होना क्या है? वो मुझे अपने पिता से विरासत में मिला,
और मिला नन्हासा एक पुत्र, जो पुत्र कम पिता सा अधिक मिलाl
पिता, गुरु और शिव होते प्रतीत पृथक,
शिव सम गुरु, गुरु सम पिता, पिता सम शिव,
न भूतो न भविष्यति ll
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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