बचपन का अहसास
- Vivek Pathak

- 17 नव॰ 2024
- 1 मिनट पठन
वो सारे अपने, जिनके साथ जीवन जिया, जिनके साथ खेले और बड़े हुए, वो भाई-बहनें, वो मेरे दोस्त।
बह गए सब समय की रेत में,
खो गये कुछ पाने, कर दिखाने की होड़ में,
नए अपनों के साथ, परिवार बसाने की दौड़ में l
शिकायत नहीं है… पर कमी है-2
जीवन में फ़िर वही बात हो,
ख़ुशियों में साथ झूमें, ग़म में हाथों में हाथ हो l एकदूजे के लिए दिल में,
फ़िर वही बचपन वाला अहसास हो l
जानता हूँ जीतता नहीं, इस दुनिया में कोई…
पर जब हार का अहसास हो, कम से कम तब तो, अपनों के साथ का प्रयास हो l
जीवन में फ़िर वही बात हो, एकदूजे के लिए दिल में,
फ़िर वही बचपन वाला अहसास हो l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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