ब्राह्मण होना
- Vivek Pathak

- 30 अग॰
- 1 मिनट पठन
जन्मा तो हूँ श्रेष्ठ कुल में,
पर मेरा श्रेष्ठ होना अभी बाक़ी है l
एक-दो से तो छूटा नहीं पूरी तरह,
अभी तो कई दोष मुझमें बाक़ी हैं l
चलना तो ठीक से, आरम्भ ही नहीं हुआ,
पहुँचने का भ्रम भटकाता है, पहुँचने की योग्यता, अर्जित करना अभी बाक़ी है l
और दया-त्याग, ज्ञान-भक्ति, क्रोध रहित संयम की वो स्थिती, कहते जिसे होना ब्राह्मण,
ब्रह्म का अंश तो हूँ मैं, पर होने के प्रति, जागना अभी बाक़ी है l
कहने को तो हूँ मैं ब्राह्मण,
पर पूरी तरह होना अभी बाक़ी है l
मेरा ब्राह्मण होना अभी बाक़ी है l
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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