मृत्यु को जीतना
- Vivek Pathak

- 15 अक्टू॰ 2023
- 1 मिनट पठन
मृत्यु को जीतना, शरीर की अमरता नहीं,
ये तो सबका यहीं मिट जाना है l
सबके पास है, एक ही दिन आज का,
समेट लो वो सबकुछ, जो कल साथ जाना है l
निष्छल प्रेम, निष्कपट हृदय, असहाय की सहायता और रोते के आँसू पोंछते जाना है l
मेरी दृष्टि में बस यही है, जो कल साथ जाना है l
जो कुछ मिला है यहाँ, वो अबकुछ उधार है,
और यहीं चुका के जाना है l
सीख लिया जिसने, जीने का ये सलीक़ा,
ये जान लिया उसने, कि मृत्यु को जीतना क्या है?
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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