top of page
खोज करे

मेरी बात

तुम करने में फल की बात करते हो, 

मैं करने को ही फल समझता हूँ ll

तुम पूजा मैं प्रसाद की बात करते हो, 

मैं पूजा को ही प्रसाद समझता हूँ ll

तुम दुनिया की बात करते हो, मैं ख़ुद की बात करता हूँ ll

तुम दुःख के आँसू की बात करते हो, 

मैं सुख के आँसू की बात करता हूँ ll

तुम पाकर और पाने की बात करते हो,

मैं पाकर चुकाने की बात करता हूँ ll

तुम दुनिया की बात करते हो, मैं ख़ुद की बात करता हूँ ll

तुम घाटे की बात करते हो, मैं घाट की बात करता हूँ ll

तुम फ़ायदे की बात करते हो, मैं कायदे की बात करता हूँ ll

तुम दुनिया की बात करते हो, मैं ख़ुद की बात करता हूँ ll

तुम प्यास की बात करते हो, मैं तर्पण की बात करता हूँ ll

तुम आस की बात करते हो, मैं विश्वास की बात करता हूँ ll

तुम दुनिया की बात करते हो, मैं ख़ुद की बात करता हूँ ll

तुम पंछी की बात करते हो,  मैं उड़ान की बात करता हूँ ll

तुम महल की बात करते हो, मैं नींव की बात करता हूँ ll

तुम दुनिया की बात करते हो, मैं ख़ुद की बात करता हूँ ll

तुम बीज की बात करते हो, मैं बीज की यात्रा की बात करता हूँ ll तुम दिन-रात की बात करते हो, मैं संध्या की बात करता हूँ ll

तुम बाहर की बात करते हो, मैं भीतर की बात करता हूँ ll

तुम दुनिया की बात करते हो, मैं ख़ुद की बात करता हूँ ll


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक

 
 
 

हाल ही के पोस्ट्स

सभी देखें
पशु कौन?

वो होते हिंसक, सुरक्षा और भोजन के लिए, और हम… स्वाद के लिए, उनके शीश काटते जाते l वो होते काम-रत, ऋतु आने पर ही, और हम… सारा जीवन, काम में ही लुटाते जाते l वो जीते गोद में प्रकृति की, जीवन भर, और हम…

 
 
 
याद की जायदाद

कर-कर के देख लिया, हर क़रम,-2 कमा के देख लिया, गँवा के देख लिया, और पापों से तो सना हूँ मैं,-2 कुछ पुण्य, कमा के भी देख लिया l सब.. सब.. सब आ के चला जाता है, सब आ के चला जाता है l एक ‘उसकी याद’ है, क

 
 
 
श्मशान

कहते लोग, जिसे भयानक और अशुद्ध, जहाँ जाने के नाम से भी, हो जाती सांसें बद्ध l होते सभी बंधन जहाँ राख़, टूट जाती वृक्ष से ज्यों साख़, है यह वह स्थान, जहाँ माया भी है निषिद्ध l मरके तो सबको जाना है वहाँ

 
 
 

टिप्पणियां


bottom of page