वो अमूल्य क्षण
- Vivek Pathak

- 1 अक्टू॰ 2022
- 1 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 6 अक्टू॰ 2022
वो क्षण जब कह सकूँ कि पा लिया,
तरसता रहा जन्मों-जन्मों जिसके लिये l
वो क्षण जब स्वयं से तृप्त हो कर सकूँ कुछ,
अँधेरे की अग्नि में जो अतृप्त जलते हैं, उनके लिये l
वो क्षण जब बोध हो, वो क्षण जब बोध हो,
कि दिया सूर्य में या बूँद सागर में मिले और सम्पूर्ण हो l
वो क्षण जब कुछ भी पाने खोने को ना रहे,
और विदाई पूर्णता से भर जाये l
वो क्षण जब तू हो, बस तू ही हो,
और मेरा सार तुझमें मिलकर सर्वत्र हो जाये l
प्रफुल्लित हूँ जब तेरी एक बूँद से यूँ,
तो कैसा होगा बोध के सागर में घुलने का वो क्षण l
वो क्षण वो अंतिम क्षण, जब मैं तू हो जाऊँ l
वो अमूल्य क्षण, जब मैं तू हो जाऊँ, वो अमूल्य क्षण ll
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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