शिकायतें क्यों?
- Vivek Pathak

- 1 सित॰ 2022
- 1 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 1 अक्टू॰ 2022
जब जुड़ते हैं दो, तो चले एक की क्यों? शिकायतें क्यों?
माना है जीवन संघर्ष, है कष्ट बहुत,
तो ढोये केवल एक ही क्यों? शिकायतें क्यों?
प्राप्त में संतोष नहीं, चाहिए आख़िर सबकुछ ही क्यों? शिकायतें क्यों?
नहीं मिला है सबकुछ, किसी को कभी, जानते हो!!
फिर भी रहती शिकायतें क्यों? इतनी शिकायतें क्यों?
पुरुष को आज़ादी, स्त्री को नियंत्रण, चाहिए आख़िर क्यों?
इतनी शिकायतें क्यों?
प्राप्त ही पार्यप्त है, और अधिक के लिए प्रयास है,
यही सदियों का सार हैl
हैं शिकायतें व्यर्थ, हैं शिकायतें व्यर्थ,
समझे तो जीवन मधुवन, नहीं तो दुश्वार हैl
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














टिप्पणियां