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संतुलन आवश्यक है

रोग में और स्वास्थ में आवश्यक है संतुलन,

भोज में और उपवास में आवश्यक है संतुलन l

प्रेम में और घृणा में आवश्यक है संतुलन,

सुख में और दुःख में आवश्यक है संतुलन l

अपेक्षा में और उपेक्षा में आवश्यक है संतुलन, 

प्रयास में और आलस्य में आवश्यक है संतुलन l


भोग में और त्याग में आवश्यक है संतुलन,

राग में और वैराग्य में आवश्यक है संतुलन l

माया में और सत्य में आवश्यक है संतुलन, 

भक्ति में और ज्ञान में आवश्यक है संतुलन l

दान में और शोषण में आवश्यक है संतुलन,

कर्म में और भाग्य में आवश्यक है संतुलन l


जीवन में और मरण में आवश्यक है संतुलन,

मोक्ष में और मुक्ति में आवश्यक है संतुलन l


कमी में मेहनत से और अधिकता में बाँट के आये संतुलन l

अपने अस्तितत्व की पूर्णता को पाना है अगर, 

तो आवश्यक है संतुलन, संतुलन ही आवश्यक है ll


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक








 
 
 

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