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सुकून-ए-मौत

कष्टों को अधिक कहना तो बेमानी है,

कैसा भी हो कुछ देर में सहने की शक्ति तो आनी है। -2


कर कर के देख लिया "मैं" ने बहुत कुछ,

करना तो अब भी है पर अब सब 'तुझको' समर्पित, बस तू ही एक सानी है। -2


देखा है पाने वालों को बहुत, पर उनको भी अपनी ख़ुशी दूसरों को दिखानी है। -2


चूक जाते हैं पाकर न बांटने वाले -2

भूख से मारना तो जायज़ सा है, पर खा दबा के मरने वालों को सुकून-ए-मौत कहाँ आनी है। -2


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक

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