सुकून-ए-मौत
- Vivek Pathak

- 21 अग॰ 2022
- 1 मिनट पठन
कष्टों को अधिक कहना तो बेमानी है,
कैसा भी हो कुछ देर में सहने की शक्ति तो आनी है। -2
कर कर के देख लिया "मैं" ने बहुत कुछ,
करना तो अब भी है पर अब सब 'तुझको' समर्पित, बस तू ही एक सानी है। -2
देखा है पाने वालों को बहुत, पर उनको भी अपनी ख़ुशी दूसरों को दिखानी है। -2
चूक जाते हैं पाकर न बांटने वाले -2
भूख से मारना तो जायज़ सा है, पर खा दबा के मरने वालों को सुकून-ए-मौत कहाँ आनी है। -2
विवेक गोपाल कृष्ण पाठक














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