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हे प्रभु!

हे प्रभु! मेरे कष्टों को दूर कीजिए,

यदि किसी योग्य हूँ, तो मेरा उपयोग कीजिये l


नहीं देखी जाती, निरीह प्राणियों के साथ क्रूरता,

नहीं देखा जाता अब,

सरल के साथ छल और निश्छल के साथ धृष्टता l

हे प्रभु! मेरे कष्टों को दूर कीजिए,

यदि किसी योग्य हूँ, तो मेरा उपयोग कीजिये l


स्त्री को उपभोग की वस्तु और, पुरुष को धन उपलब्धता का चाकर समझा जाता है l

भोजन के नाम पर हत्या और, नशे में डूबना,

सुख समझा जाता है l

कुटिल है उचित और, सरल को मूर्ख समझा जाता है l

मानवता का ये पतन, अब मुझसे न सहा जाता है l


हे प्रभु! मेरे कष्टों को दूर कीजिए,

यदि किसी योग्य हूँ, तो मेरा उपयोग कीजिये l


विवेक गोपाल कृष्ण पाठक


 
 
 

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