top of page

Shambhavi Astro Solutions
Astrology with Spirituality
कुंडली विशेषज्ञ, ध्वनि चिकित्सक, जीवन दर्शन और समाधान
Social Links
My First Book
Astrology Courses
खोज करे
दुःख और दान
जिसने समझा बात को उसको नमन, जिसने समझाया उसको नहीं l जिसने माँगा रक्षण उसको नमन, जिसने की रक्षा उसको नहीं । जिसने स्वीकारा दान को उसको...

Vivek Pathak
4 नव॰ 20241 मिनट पठन
0 दृश्य
0 टिप्पणी
हृदय से काग़ज तक
उसने कहा, ऐसा क्या कर लिया तुमने, शब्द ही तो हैं उतार लिए कागज़ पर l मैं बोला, प्रसाद और भोजन में अंतर समझते हो l आँसू जब भी निकलते हैं,...

Vivek Pathak
23 अक्तू॰ 20241 मिनट पठन
0 दृश्य
0 टिप्पणी
अपने हिस्से के आँसू
चाहोगे जिसे हद से ज़्यादा, वही दिल तोड़ेगा, रखी आस जिससे भी, वही हाथ छोड़ेगा l सिर्फ़ तुम ही हो तुम्हारा सहारा, जितना जल्दी जान लो, तो...

Vivek Pathak
23 अक्तू॰ 20241 मिनट पठन
0 दृश्य
0 टिप्पणी
है स्वीकार
तुझसे मिली खुशियाँ क़ुबूल हैं जब, तो फिर ग़म से भी, नहीं एतराज़ l आती है ख़ुशबू गुल से जब, तो शूल से जो दर्द मिले, वो भी स्वीकार l उतरती...

Vivek Pathak
19 सित॰ 20241 मिनट पठन
2 दृश्य
0 टिप्पणी
द्वन्द
उदास हो जाता हूँ, जब चाहकर भी, किसी की मदद के लिए रुक नहीं पता हूँ l जल्दी में हूँ, हूँ भीड़ में, चाहकर भी मुड़ नहीं पाता हूँ l मन कुछ कहता...

Vivek Pathak
14 सित॰ 20241 मिनट पठन
2 दृश्य
0 टिप्पणी
मूर्खता का प्रमाण
यूँ ही परेशां हूँ, कि ये न मिला वो न मिला, पर जो मिला है उसे गिनता ही नहीं l जब देखता हूँ ग़म दूसरों के, तो लगते अपने ग़म कुछ भी नहीं l...

Vivek Pathak
4 सित॰ 20241 मिनट पठन
2 दृश्य
0 टिप्पणी
युद्ध करो
हे कृष्ण…!! समय नहीं है अब मुरली का, रास को अब विदा करो l समय हो गया है गीता का, अर्जुन में हुँकार भरो l गोकुल की लीला त्यागकर, रण में अब...

Vivek Pathak
26 अग॰ 20241 मिनट पठन
7 दृश्य
0 टिप्पणी
शायर हो बैठा
ग़ुमान था कि शायर हूँ, ख़ुशनवर हूँ -2 फिर दिनकर, नीरज, मीरा, कबीर, सूर, निराला को सुन बैठा l अरे बात यहाँ ख़त्म न हुई-2 ग़ालिब और जौन एलिया...

Vivek Pathak
21 अग॰ 20241 मिनट पठन
3 दृश्य
0 टिप्पणी
मूल्य चुकाना होगा
अहँकार ही है, जो रोक रहा है आगे बढ़ने से l कुछ पा लो पहले, दिखा लो पहले, बता दो कि तुम भी कुछ हो, दुनियाँ को, बिना कुछ पाये, कायरता होगा,...

Vivek Pathak
16 अग॰ 20241 मिनट पठन
5 दृश्य
0 टिप्पणी
रौशनी की जाये
डूबे हो अग़र, ग़म के अधेरों में इस क़दर, कि क़िस्मत-ए-सहर की भी, कोई अब आस नहीं, ख़ुद को जलाकर, क्यों न रौशनी की जायेl जो अभी थके नहीं, जिनमें...

Vivek Pathak
14 अग॰ 20241 मिनट पठन
1 दृश्य
0 टिप्पणी
"स्वान", मानव का परम मित्र
जब मेरी गाड़ी देखकर, वो रुक जाते हैं,-2 आँखों में ख़ुशी और प्यार से दुम हिलाते हैं l ज़रूरी नहीं, हर बार उनको मुझसे कुछ चाहिए, किसी मोड़ पर...

Vivek Pathak
11 अग॰ 20241 मिनट पठन
2 दृश्य
0 टिप्पणी
नए युग का आरंभ
खुल के बाँट रहे जो ‘जन’ को, खोखले कानूनों की आड़ से l सारी मानवता दबी जा रही, हैवानियत के पहाड़ से l स्त्री का भोग, बच्चों का दुरूपयोग,...

Vivek Pathak
10 अग॰ 20241 मिनट पठन
2 दृश्य
0 टिप्पणी
कलि का सत्य
कलयुग में, होगा जिससे अधिक प्रेम, वही ह्रदय तोड़ेगा l जो चाहोगे होना, बस वही होने में संशय रहेगा l जिसको पाने का होगा,सबसे अधिक प्रयास,...

Vivek Pathak
29 जुल॰ 20241 मिनट पठन
3 दृश्य
0 टिप्पणी
शायर होना अभी बाक़ी है
किसी ने तंज़ में कहा हमसे, कि क्या कहते हो, वाह क्या शायर हो l-2 मैंने कहा शायर जो कहते हैं लब्ज़ों में, मतलब अब, समझ आजाता है बस, हमारा...

Vivek Pathak
17 जुल॰ 20241 मिनट पठन
3 दृश्य
0 टिप्पणी
किसीसे अब कुछ कहता नहीं
मैं किसी को, अब टोकता नहीं, चलते पहियों को, अब रोकता नहीं l हर कोई चलता है, अपनी ही समझ से, क्या सही है, क्या ग़लत, बिन पूछे किसी को, अब...

Vivek Pathak
8 जुल॰ 20241 मिनट पठन
4 दृश्य
0 टिप्पणी
अब कुछ अलग है
वही दुनिया है, वही मैं भी हूँ, पर फिर भी, पहले से सबकुछ अलग है l दौलत है, शोहरत है, पाने को, फिर भी ख्वाइश-ए-दिल, अब कुछ अलग है l जुड़ा तो...

Vivek Pathak
8 जुल॰ 20241 मिनट पठन
3 दृश्य
0 टिप्पणी
हकीक़त
ख़ुद को सही बताने की ज़िद में, खो देता हूँ मौका-ए-बेहतरी अक्सर l सुन लेना उसको, सुकून से इस क़दर, कि जानते हुए सबकुछ भी, कुछ नया सा लगे l हो...

Vivek Pathak
1 जुल॰ 20241 मिनट पठन
2 दृश्य
0 टिप्पणी
कैसा हूँ मैं ?
लगता था मुझे कि बहुत बुरा हूँ मैं, ख़ालिस नहीं हूँ, न ही ख़रा हूँ मैं l चाहिये ज़र-ओ-ज़मीन और शौहरत, सबसे अलग़ कहाँ हूँ मैं? ज़माने की तरह ही,...

Vivek Pathak
15 मई 20241 मिनट पठन
5 दृश्य
0 टिप्पणी
शिव आरहे हैं मेरे पास
जितना दुनिया मुझे ठुकरा रही है, जितना माया मुझे उलझा रही है, जितना कम हो रहा है व्यर्थ के संबंधों से लगाव, जितनी कम हो रही है भौतिकता की...

Vivek Pathak
5 अप्रैल 20241 मिनट पठन
6 दृश्य
0 टिप्पणी
शहीद की कहानी
एक छोटीसी कहानी है, जो मुझे, आपको सुनानी है... माँ बोली.. जब तू मेरी कोख में था... मेरी ख़ुशी का ठिकना न थाl वैसे तो मैंने तुझे जन्म...

Vivek Pathak
5 अप्रैल 20241 मिनट पठन
5 दृश्य
0 टिप्पणी
bottom of page